नीरज पांडे, जिनके नाम Baby, Special 26, और A Wednesday जैसी शानदार फिल्में दर्ज हैं, इस बार ओटीटी की दुनिया में Sikandar Ka Muqaddar के जरिए अपनी वापसी कर रहे हैं। 29 नवंबर 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई यह फिल्म एक सस्पेंस थ्रिलर है, जिसमें कहानी 15 साल पुराने एक अनसुलझे मामले से शुरू होती है। फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे हैं अविनाश तिवारी, जिम्मी शेरगिल और तमन्ना भाटिया। आइए जानते हैं, क्या यह फिल्म आपके समय और उत्सुकता पर खरी उतरती है, या यह भी एक औसत थ्रिलर बनकर रह जाती है।
कहानी और निर्देशन
Sikandar Ka Muqaddar की कहानी 2009 में एक बड़ी हीरे की चोरी से शुरू होती है, जहाँ चोरों की योजना और पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल दिखाया गया है। नीरज पांडे की कहानी शुरुआत में बेहद मजबूत और दिलचस्प लगती है। एक बड़े इवेंट में मुंबई के सबसे बेशकीमती हीरे चुराए जाते हैं, और चोर अपने पीछे सिर्फ रहस्यमयी लाशें छोड़ जाते हैं।
15 साल बाद भी, हीरे का कोई सुराग नहीं मिलता, लेकिन कहानी तब नया मोड़ लेती है जब अधिकारी जसविंदर सिंह (जिम्मी शेरगिल) फिर से इस केस को खोलते हैं। यहां से फिल्म धीमी गति से आगे बढ़ती है लेकिन हर पल आपको सवालों के साथ जोड़े रखती है।
नीरज पांडे की निर्देशन शैली आपको Special 26 और A Wednesday की याद दिलाती है। हालांकि, फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा खिंचा हुआ लगता है।
अभिनय और किरदार
फिल्म में अविनाश तिवारी ने सिकंदर शर्मा के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनकी मासूमियत और गंभीरता कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करती है। तमन्ना भाटिया ने कमाल का काम किया है। उनकी उपस्थिति स्क्रीन पर ताजगी लाती है, और उनका किरदार सस्पेंस में अहम योगदान देता है।
जिम्मी शेरगिल का अभिनय हमेशा की तरह शानदार है। उनका पुलिस अधिकारी जसविंदर सिंह के किरदार में गहराई और मजबूती देखने को मिलती है। बाकी कलाकार जैसे दिव्या दत्ता और ज़ोया अफरोज़ ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है।
सिनेमैटोग्राफी और म्यूजिक
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी लाजवाब है। हर सीन को इस तरह फिल्माया गया है कि रहस्य और रोमांच का माहौल बरकरार रहता है। 2009 के फ्लैशबैक सीक्वेंस को और बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था, लेकिन वर्तमान समय के दृश्य वास्तविकता के करीब लगते हैं।
जहां तक म्यूजिक की बात है, फिल्म में गाने न के बराबर हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के रहस्य को गहराई देता है और इसे और भी रोमांचक बनाता है।
कहानी का क्लाइमेक्स और सस्पेंस
फिल्म का क्लाइमेक्स वह बिंदु है, जहाँ इसे सबसे ज्यादा जज किया जाएगा। अंतिम 15 मिनट में ट्विस्ट की झड़ी लगा दी जाती है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है। हालांकि, कुछ दर्शकों को यह एंडिंग प्रिडिक्टेबल लग सकती है, लेकिन फिल्म जिस तरीके से इसे अंजाम तक पहुंचाती है, वह काबिल-ए-तारीफ है।
फिल्म लॉजिक पर ज्यादा ध्यान नहीं देती, और यह थोड़ा निराशाजनक हो सकता है। लेकिन अगर आप इसे एक मनोरंजन के रूप में देखें, तो यह काफी हद तक संतोषजनक है।
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निष्कर्ष
Sikandar Ka Muqaddar एक अच्छी सस्पेंस थ्रिलर है, जो आपको बांधे रखने का दम रखती है। नीरज पांडे ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह कहानी को गोल-गोल घुमाकर दर्शकों को उलझाने में माहिर हैं। फिल्म में कुछ खामियां जरूर हैं, जैसे धीमी गति और क्लाइमेक्स की प्रिडिक्टेबिलिटी, लेकिन इसके बावजूद यह एक बार देखने लायक फिल्म है।
अगर आप सस्पेंस और थ्रिलर के फैन हैं, तो इसे जरूर देखें। तमन्ना और जिम्मी शेरगिल का काम आपका दिल जीत लेगा।
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